'मुद्दे मुझे तब तक बेचैन करते हैं, जब तक उन पर कोई कदम न उठा लूं'
मैं बस उन सकारात्मक बदलावों का एक छोटा-सा हिस्सा बनने की उम्मीद करता हूं, जिनकी हमारे देश को जरूरत है। और मुझे व्यक्तिगत तौर पर लगता है कि सिनेमा में इस बदलाव की ताकत है।
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